Saturday, April 26 2025

समन्वयवादी विचारों के प्रतिमूर्ति थे ललित बाबू : शर्तेंदु शेखर

FIRSTLOOK BIHAR 09:57 AM बिहार

मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर स्थित ललित नारायण मिश्र कॉलेज ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट में पूर्व रेल मंत्री, स्व० ललित नारायण मिश्र के बलिदान दिवस के अवसर पर उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण कर महाविद्यालय के शिक्षकों एवं कर्मचारियों द्वारा श्रद्धांजली अर्पित की गई इस अवसर पर महाविद्यालय के निदेशक डा० मनीष कुमार ने कहा कि बिहार के पिछड़ेपन के लिए उनके मन में आकुलता थी और सत्ता के उच्च शिखरों पर आसीन रहकर उन्होंने इसके निवारण के लिए भरसक प्रयत्न किए बिहार के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में रेलगाड़ी चलाकर वहाँ के निवासियों को देश के कोने-कोने तक पहुँचने की सुविधा सुलभ कराने की जितनी योजनाएँ उन्होंने बनायी थीं उनमें से कुछ तो साकार हुई पर अधिकांश का साकार होना उनको दुर्भाग्यपूर्ण हत्या के कारण संभव नहीं हो पाया





मिथिला की चित्रकला को मधुबनी पेंटिंग का जामा



मिथिला की चित्रकला को मधुबनी पेटिंग का जामा पहनाकर देश-विदेश में उसके लिए धूम मचा देगा और सिकी की बनी वस्तुओं को गरिमामय सजावट-सामग्री जताकर प्रशस्त्र व्यापारिक द्वार खोलना उनकी प्रशासनिक दूरदर्शिता का परिचायक है



इससे बिहार वासियों को अपनी स्थिति संभालने का सुनहरा अवसर मिला

हिमालय से कन्याकुमारी तक बनाई थी व्यापक मित्रमंडली



इस अवसर पर महाविद्यालय के कुलसचिव डा० कुमार शरतेंदु शेखर ने कहा कि 3 जनवरी हमें याद दिला जाती है बिहार के गौरवमय सपूत और भारतीय राजनीति के प्रकाशवान नक्षत्र श्रद्धेय ललित बाबू की, जिनका व्यक्तित्व समन्वयवादी विचारों की प्रतिमूर्ति था उन्हें अध्यात्म के सूक्ष्म स्वरुप में गहरी निष्ठा थी उनकी वाणी एवं चिंतनधारा में मानवीय मूल्यों पर आधारित आध्यात्मिक परम्परा का आभास मिलता था अपने मृदुल स्वभाव और मधुर वाणी द्वारा उन्होंने हिमालय से कन्याकुमारी तक विशाल भू-भाग में व्यापक मित्रमंडली बना ली थी स्वभाव में तो नम्रता थी पर कर्तव्य समक्ष होने पर उनके निर्णय बज्र सदृश कठोर होते थे जिसका आभास उनके निकटतम व्यक्तियों को भी पहले नहीं हो पाता था और वे चकित-विस्मत हो उठते थे लोकहित में कठोर से कठोर निर्णय लेने में उन्हें हिचक नहीं होती थी

Related Post