छपरा : बिहार की पावन धरती पर बहती गंगा के जल में मछुआरों के श्रम का पसीना घुल जाता है, लेकिन उनके परिश्रम का मूल्य उन्हें नहीं मिलता आज लोकसभा में सारण से भाजपा सांसद सह पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने इस पीड़ा को संसद के पटल पर रखा और बिहार के लाखों मछुआरों की आवाज़ को बुलंद करने के साथ मत्स्यपालन से जुड़े देश के मछुआरों एवं उनके परिवारों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत बिहार के मछुआरों को वित्तीय सहायता, मत्स्य खुदरा बाजार में उचित मूल्य, तथा राज्य में मॉडल मत्स्यपालन ग्राम परियोजना से संबंधित विषयों पर सरकार से जवाब मांगा
इसमें से 40 लाख मछुआरे अकेले बिहार में हैं, जो तालाबों, पोखरों और नदियों के जल में परिश्रम की लहरें बहाते हैं
उन्होंने लोकसभा में बताया कि वर्ष 2014 में इनलैंड फिशिंग उत्पादन 46 लाख टन था, जो 2025 में बढ़कर 131 लाख टन हो गया यह केंद्र सरकार की योजनाओं का परिणाम है, परंतु बिहार के मछुआरों को वित्तीय सहायता योजना का लाभ क्यों नहीं मिला? सांसद ने यह भी उल्लेख किया कि 2022-23, 2023-24 और 2024-25 में बिहार के मछुआरों को योजना के तहत एक भी रुपया नहीं मिला! उन्होंने मंत्री से आग्रह किया कि बिहार के मछुआरों को उनका हक़ मिलना चाहिए