प्रोफेसर (डॉ.) एस. के. सिंह
प्रधान, केला अनुसंधान केंद्र, गोरौल, हाजीपुर
विभागाध्यक्ष, पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी एवं नेमेटोलॉजी,
पूर्व प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना एवं
डॉ० गुलाब सिंह
तकनीकी पदाधिकारी/वैज्ञानिक
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा (जी०के०एम०एस०) परियोजना
जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केंद्र
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पूसा-848125, समस्तीपुर, बिहार
कृषि उत्पादन में मौसम की भूमिका अत्यंत निर्णायक होती है फलों की गुणवत्ता और उत्पादन मौसमीय परिवर्तनों पर निर्भर करते हैं, विशेषकर गर्मियों की ऋतु में जब तापमान और वर्षा में अत्यधिक उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के कृषि मौसम विभाग एवं जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केन्द्र से प्राप्त मार्च एवं अप्रैल 2024 एवं 2025 के दैनिक मौसम आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया, जिसका उद्देश्य फलों के विकास और कीट-रोग प्रबंधन के लिए उपयोगी सलाह प्रदान करना है
औसत प्रातःकालीन आर्द्रता 90% और अपराह्न 52% रही
उल्लेखनीय है कि 20 मार्च को 42.8 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जिससे अगले दिन तापमान घटकर 20.6°C हो गया पूरे माह में कुल 43.8 मिमी वर्षा हुई वाष्पीकरण दर 3.6 मिमी प्रतिदिन और तेज धूप की अवधि 7.1 घंटे प्रतिदिन रही
इसके विपरीत, मार्च 2025 में कोई वर्षा नहीं हुई औसत अधिकतम तापमान 31.7°C और न्यूनतम 15.1°C रहा वाष्पीकरण दर 4.3 मिमी प्रतिदिन और तेज धूप की अवधि 7.9 घंटे रही यह माह अपेक्षाकृत स्थिर एवं शुष्क रहा
मौसमीय विश्लेषण: अप्रैल 2024 बनाम अप्रैल 2025
अप्रैल 2024 अत्यधिक गर्म एवं शुष्क रहा। अधिकतम तापमान 41.0°C तक पहुंचा, और न्यूनतम 23.1°C रहा। पूरे माह वर्षा नहीं हुई, जिससे वाष्पीकरण दर औसतन 7.0 मिमी/दिन रही। तेज धूप की अवधि 8.5 घंटे प्रतिदिन रही। अप्रैल के अंतिम सप्ताह में चार दिन 40°C से अधिक तापमान रहा, जिससे फल विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ा। अप्रैल 2025 में मौसम अपेक्षाकृत आम एवं लीची के फलों के विकास के लिए सहायक रहा। चार दिन वर्षा (कुल 29.4 मिमी) दर्ज की गई — विशेष रूप से 10 अप्रैल (7.4 मिमी), 18 अप्रैल (20.0 मिमी), 28 एवं 29 अप्रैल को हल्की वर्षा। इस माह में औसत अधिकतम तापमान 34.9°C और न्यूनतम 19.8°C रहा। केवल दो दिन तापमान 40°C के आसपास रहा। आर्द्रता में भी वृद्धि देखी गई जिससे वाष्पीकरण दर घटकर 5.0 मिमी/दिन और धूप की अवधि 7.0 घंटे प्रतिदिन रही।
मौसम का फलों के विकास पर प्रभाव
अप्रैल 2025 में तापमान और नमी की अनुकूलता के कारण आम और लीची जैसे फलों के विकास की दृष्टि से यह अवधि अत्यंत लाभकारी रही। वहीं अप्रैल 2024 की अत्यधिक गर्मी और शुष्कता ने फलों की वृद्धि को बाधित किया। वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार 40°C या उससे अधिक तापमान कई दिनों तक रहने पर आम एवं लीची दोनों के फलों के विकास मे बाधक एवं फल झड़ने की घटनाएं बढ़ जाती हैं।
फल विकास की संवेदनशील अवस्था और रोग-कीट प्रबंधन
गुठली बनने से पहले की अवस्था में फलों का आकार 40-50 ग्राम या अधिक हो जाता है। इसी समय पेड़ यह चयन करता है कि किन फलों को पोषण मिलेगा और कौन झड़ जाएंगे। यह गिरावट प्राकृतिक चयन और पोषण की सीमाओं के कारण होती है। परंतु अत्यधिक झड़ाव की स्थिति में रोग या कीटों की भूमिका हो सकती है।
कीट एवं रोग नियंत्रण हेतु...
• फल मक्खी नियंत्रण के लिए फेरोमोन ट्रैप @15/हेक्टेयर लगाना आवश्यक है, जो तुड़ाई से 60 दिन पूर्व लगा देना चाहिए।
• मधुवा (हॉपर), चूर्णिल आसिता, और एंथ्रेक्नोज के लिए इमिडाक्लोप्रिड (17.8% SL) @1 मि.ली./2 लीटर, हैक्साकोनाजोल @1 मि.ली./लीटर, या डाइनोकैप @1 मि.ली./लीटर का छिड़काव करें।
• प्लेनोफिक्स @1 मि.ली./3 लीटर छिड़काव कर फल झड़ाव रोका जा सकता है।
सिंचाई एवं पोषण प्रबंधन
फल वृद्धि की अवस्था में हल्की सिंचाई आवश्यक है, लेकिन जलजमाव से बचें। आम मे 10 वर्ष से अधिक आयु के पेड़ों के लिए एवं लीची मे 15 वर्ष से अधिक पेड़ों के लिए : DAP: 500-550 ग्राम; यूरिया: 850 ग्राम; MOP: 750 ग्राम; गोबर की खाद: 25 किग्रा रिंग विधि से तने से 2 मीटर दूर दें। यदि आम का पेड़ 10 वर्ष एवं लीची का पेड़ 15 वर्ष से छोटा हो तो उपरोक्त डोज को आम के केस मे 10 से एवं लीची के केस मे 15 से भाग दे दे इसके बाद पेड़ की उम्र से गुणा कर दे वही उस पेड़ के लिए डोज़ होगी
सूक्ष्म पोषक तत्वों की भूमिका
मैंगो स्पेशल या बोरान युक्त माइक्रो न्यूट्रिएंट्स @2 ग्राम/लीटर पानी में छिड़काव करने से न केवल फल झड़ाव कम होता है बल्कि गुणवत्ता में सुधार होता है। यदि बोरान का प्रयोग पहले नहीं किया गया हो, तो बोरान (घुलनशील) @4 ग्राम/लीटर छिड़काव करें।
लीची में फल छेदक प्रबंधन
लीची में प्रमुख समस्या फल छेदक कीट होती है। इसके नियंत्रण हेतु.......
• थायाक्लोप्रिड (21.7% SC) या इमिडाक्लोप्रिड (17.8% SL) @0.7–1.0 मि.ली./लीटर का 10- 12 दिन के अंतराल पर दो बार छिड़काव।
• अंतिम छिड़काव तुड़ाई से 12-15 दिन पूर्व करें निम्नलिखित मे से कोई भी एक नोवल्यूरॉन (10% EC) @1.5 मि.ली./लीटर/इमामेक्टिन बेन्जोएट (5% SG) @0.7 ग्राम/लीटर/ लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन (5% EC) @0.7 मि.ली./लीटर साथ में स्टिकर या डिटर्जेंट मिलाएं और वर्षा की स्थिति में छिड़काव दोहराएं।
सारांश
मार्च और अप्रैल 2024 एवं 2025 के मौसमीय तुलनात्मक विश्लेषण से यह स्पष्ट है कि वर्ष 2025 में मौसम अपेक्षाकृत फल उत्पादन के लिए अनुकूल रहा, विशेषकर अप्रैल माह की वर्षा और सीमित गर्मी ने फलों की वृद्धि में सहायक भूमिका निभाई। हालांकि इससे कीट एवं रोग प्रकोप की संभावना बढ़ गई है। अतः किसानों को समय पर फसल सुरक्षा उपायों को अपनाना आवश्यक है। यह अध्ययन न केवल मौसमी परिवर्तनों को समझने में सहायक है, बल्कि खेती की रणनीति और फसल सलाह सेवाओं की वैज्ञानिक रूपरेखा तैयार करने में भी अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा।