Saturday, May 18 2024

आखिर नीतीश सरकार को आई जनप्रतिनिधियों के सम्मान की चिंता

FIRSTLOOK BIHAR 23:01 PM बिहार

पटना: बिहार में अक्सर अफसरशाही के बेलगाम होने का मुद्दा उठता रहता है. सांसद,विधायक और मंत्रियों तक की बात अधिकारियों द्वारा नहीं सूने जाने की बातें लगातार आती रहती है. माननीय द्वारा बदसलूकी की शिकायत भी की जाती है. विधानसभा के बजट सत्र के दौरान भी विपक्ष ने ये मुद्दा जोर शोर से उठाया था.

मंत्री ने इस्तीफे की, की थी पेशकश

बिहार सरकार में मंत्री और नीतीश कुमार की पार्टी के नेता मदन सहनी ने अफसरों के व्यवहार से नाराज होकर इस्तीफे की पेशकश कर सबको चौंका दिया था. ऐसे में सूबे की नीतीश सरकार ने सभी तथ्यों और शिकायतों को ध्यान में रखते हुए अधिकारियों के लिए गाइडलाइन जारी की है, जिसमें ये बताया गया है कि उन्हें जनप्रतिनिधियों के साथ किस प्रकार व्यवहार करना चाहिए. 

सभी बातों को ध्यान से सुनना चाहिए

बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी पत्र में बताया गया है कि सरकारी कर्मचारियों या पदाधिकारियों को संसद सदस्यों और राज्य विधानमंडल के सदस्यों के साथ विनम्रता और शिष्टाचार का बर्ताव करना चाहिए. उनकी बातों को धैर्यपूर्वक सुनना और उन पर ध्यान पूर्वक विचार करना चाहिए. सभी पदाधिकारियों को संसद सदस्यों और राज्य विधानमंडल के सदस्यों को उनके संवैधानिक कामों के संपादन में मदद करनी चाहिए. लेकिन किसी सदस्य के अनुरोध या सुझाव को मानने में अगर असमर्थता है तो असमर्थता के कारणों को उन्हें विनम्रतापूर्वक स्पष्ट कर दिया जाना चाहिए.

खड़े होकर स्वागत करना चाहिए

सभी पदाधिकारियों को संसद सदस्यों और राज्य विधानमंडल के सदस्यों को उनसे मिलने के लिए आने पर अन्य लोगों की जगह पर प्राथमिकता देनी चाहिए. बिना समय लिए हुए मिलने के लिए आए सदस्य से अगर किसी कारणों से तुरंत मिलना संभव नहीं हो सके तो उन्हें जानकारी देते हुए, उनके इंतजार करने के लिए इंतजाम करना चाहिए. सदस्यों के मिलने आने पर पदाधिकारियों को अपने स्थान से उठकर उनका स्वागत करना चाहिए और उनके जाते समय भी उनके प्रति सम्मान प्रदर्शित करते हुए भेजना चाहिए. 

स्थान आरक्षित होने चाहिए

अगर किसी राजकीय कार्यक्रम में उन्हें आमंत्रित किया गया है तो उनके बैठने की जगह राज्यपाल, मुख्य न्यायाधीश आदि के तुरंत बाद और सचिवों से आगे रखा जाना चाहिए. जहां समारोहों में संसद सदस्य और राज्य विधानमंडल के सदस्य दोनों आमंत्रित हो, वहां राज्य विधानमंडल के सदस्यों का स्थान संसद सदस्यों के तुरंत बाद रखा जाना चाहिए. उक्त सदस्यों के लिए स्थान आरक्षित होने चाहिए. देर से आने अथवा उनकी अनुपस्थिति की स्थिति में भी उनके लिए आरक्षित सीटों को समारोह के अंत तक आरक्षित रखा जाना चाहिए, भले ही वे खाली क्यों न रह जाए.

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