Friday, May 17 2024

लोक हित में कठोर से कठोर निर्णय लेने में भी नहीं हिचकते थे ललित बाबू : डाॅ कुमार शर्तेंदु शेखर

FIRSTLOOK BIHAR 19:28 PM बिहार

मुजफ्फरपुर : पूर्व रेल मंत्री स्व ललित नारायण मिश्र की शहादत दिवस पर रविवार को ललित नारायण मिश्र काॅलेज ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई .इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी शिक्षक व कर्मचारी मौजूद थे. श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद उपस्थित शिक्षक व गणमान्य लोगों को संबोधित करते हुए महाविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ कुमार शर्तेंदु शेखर ने कहा कि वे बिहार के सपूत व देश के गौरव थे । भारतीय राजनीति के प्रकाशवान नक्षत्र थे। उन्हें अध्यात्म के सूक्ष्म स्वरुप में गहरी निष्ठा थी। उनकेे वाणी एवं चिंतन धारा में मानवीय मूल्यों पर आधारित अध्यात्मिक परंपरा का आभास मिलता था ।

हिमालय से कन्याकुमारी तक बनाये थे मित्र मंडली

रजिस्ट्रार डॉ शेखर ने कहा कि ललित बाबू ने अपने मृदुल स्वभाव और मधुर वाणी से हिमालय से कन्याकुमारी तक विशाल भू-भाग में व्यापक मित्र मंडली बना ली थी। स्वभाव में नम्रता थी, पर कर्त्तव्य समक्ष होने पर उनके निर्णय बज्र सदृश कठोर होते थे। लोक हित में कठोर से कठोर निर्णय लेने में उन्हें हिचक नहीं होती थी।

पीड़ित मानव के दुख दर्द के प्रति थे संवेदनशील

महाविद्यालय के कुलसचिव डॉ कुमार शर्तेंदु शेखर ने कहा कि स्व डॉ ललित नारायण मिश्र अपने कल्पनाशीलता और पीड़ित मानव के दुखदर्द के प्रति संवेदनशील थे। बिहार के पिछड़ापन के लिए उनके मन में आकुलता थी। सत्ता के उच्च शिखरों पर आसीन रहकर उन्होंने इसके निवारण के लिए भरसक प्रयत्न किए। अविचल भाव से देश की सेवा करते हुए उन्होंने कर्तव्य की बलिवेदी पर अपने प्राण न्योछावर कर दिया।

कोशी के लोगों की वेदना को पहचाना

डॉ शेखर ने कहा कि ललित बाबू ने कोशी क्षेत्र के लोगों की वेदना को पहचाना और भारत सेवक समाज के माध्यम से विनाशकारी कोशी नदी के नियंत्रण के लिए जो प्रयास आरंभ किये उनसे जन जागरण हुआ। प्रति वर्ष मलेरिया, कालाजार सहित अन्य महामारियों से काल कल्वित होने वाले लोगों को इस त्राण से निजात मिला।

बिहार के कोने-कोने तक रेल चलवाया

इस अवसर पर बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय के डीन एवं एलएन मिश्रा काॅलेज ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट के प्राचार्य डॉ एआर खान ने कहा कि बिहार के पिछड़ेपन के लिए उनके मन में व्याकुलता थी। बिहार के सुदूर वर्ती क्षेत्रों में रेल गाड़ी चलाकर वहां के निवासियों को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने की सुविधा सुलभ कराने की जितनी योजनाएं उन्होंने बनाई थी उसमें से कुछ तो साकार हुए पर अधिकांश का साकार होना उनकी दुर्भाग्यपूर्ण हत्या के कारण नहीं हो पाया।

मिथिला की चित्रकला को राष्ट्रीय स्तर पर दी पहचान

मिथिला की चित्रकला, मधुबनी पेंटिंग, सिकी से बनी वस्तुओं को राष्ट्रीय स्तर पर एक पहचान दी। जिससे बिहार के लोगों को अपनी स्थिति सुधारने को सुनहरा अवसर मिला।

मैनेजमेंट की शिक्षा पाकर हजारों छात्र - छात्राएं हैं ऊंचे पदों पर

महाविद्यालय के प्रभारी प्राध्यापक डॉ श्याम आनंद झा ने कहा कि उन्हीं की प्रेरणा से वर्ष 1973 में डाॅ जग्रनाथ मिश्र ( पूर्व मुख्यमंत्री ) के द्वारा इस महाविद्यालय की स्थापना की गयी। इस विद्यालय में पढ़कर हजारों छात्र - छात्राएं सरकारी एवं गैर-सरकारी प्रतिष्ठानों में उच्च पदों पर हैं. जो गर्व की बात है।

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