राजद प्रदेश महासचिव ने की रिटायर जज से जांच कराने की मांग
मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर सिविल सर्जन ने दीवार पर अधूरी नोटिस चिपका कर स्वास्थ्य विभाग में विभिन्न पदों पर सैकड़ों बहाली कर दी है। बहाली का यह आंकड़ा एक हजार के आस-पास बताया जा रहा है। इसके लिये कोई तिथि निर्धारित नहीं की गयी। यह बहाली तिथि निर्धारित कर इंटरव्यू के माध्यम से नहीं हुई। बल्कि 11 मई से 26 मई तक नियुक्ति पत्र पर हस्ताक्षर कर बहाली की प्रक्रिया जारी रखते हुए की गयी। बहाली मात्र तीन माह के लिये की गयी है।
बहाली की प्रक्रिया स्वास्थ्य विभाग से लेकर प्रशासनिक हल्कों में बना हुआ है चर्चा का विषय
किस पद पर कितनी बहाली करनी थी और कितनी की गयी यह अभी भी मीडिया के सामने नहीं आयी है। सिविल सर्जन द्वारा अपने विभाग के कुछ सह कर्मियों के सहयोग से की गयी बहाली और इसमें अपनाये गये तौर- तरीके, स्वास्थ्य विभाग से लेकर प्रशासनिक हल्कों में पिछले एक सप्ताह से चर्चा का विषय बना हुआ है।
बहाली में पारदर्शिता नहीं घोटाला
इस मामले को लेकर राजद ने रिटायर जज से जांच की मांग की है। राजद के प्रदेश महासचिव जयशंकर प्रसाद यादव ने प्रेस बयान जारी कर कहा है कि स्वास्थ्य विभाग में data entry operator, एएनएम, जीएनएम, ड्रेसर, वार्ड बॉय आदि की बहाली जो हुई है उसमें पारदर्शिता नहीं बरती गई हैl इस बहाली में बड़ा घोटाला हुआ है।ना कोई वैकेंसी निकाली गई, ना कोई बहाली की तिथि एवं आवेदन जमा करने वक्त किसी को कुछ बताया गया। सब कुछ गुपचुप तरीके से एक दीवार पर सूचना टांग करके बहाली करना लोगों के आंख में धूल झोंकना है। एक सीएचसी में 22 डाटा एंट्री ऑपरेटर की बहाली करना क्या साबित करता है। यह अपने आप में बड़ा भारी घोटाला है। आखिर वहां जरूरत कितनी है, वैकेंसी कितना है, बहाली कितनी हुई, इसकी जांच आवश्यक है।
बहाली में उच्च स्तरीय साजिश, अपनाये गये प्रक्रिया से लेन देन की आ रही बू
जयशंकर प्रसाद यादव ने कहा कि इसमें उच्च स्तरीय साजिश नजर आती है। लगता है स्वास्थ्य मंत्री का वरदहस्त बहाली करने वाले को प्राप्त है। नियुक्ति में प्रथम दृष्टया व्यापक पैमाने पर लेन देन की बू नजर आती है। सुशासन बाबू में अगर जरा भी नैतिकता बची है तो उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर इसकी जांच शीघ्र कराएं सच्चाई सामने आ जायेगी और घोटाला पर से पर्दा उठ जाएगा।